दिल की नादानी

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  सबकुछ तो है समक्ष मेरे, दिल में फिर वीरानी क्यों है सच झूठ का ज्ञान इसे है, करता दिल नादानी क्यों है पतझड़ के इस मौसम में झट, बसंत की आस दिलाता है बिखर रहे भावनावों से फिर, खुद को ठेस लगाता है अंजाम विदित होने पर भी, करता ये मनमानी क्यों है सच झूठ का ज्ञान इसे है, करता दिल नादानी क्यों है   ठहरे पानी में इसने, पैदा की एक हलचल सी शांत सितारे बैठे थे, मचा दी इसमें झलमल सी चंचल से इस मन ने इसने, उठाई लहरें अनजानी क्यों है सच झूठ का ज्ञान इसे है, करता दिल नादानी क्यों है - श्यामानंद दास

हे प्रियतम तुम मत जाओ....


तुम चले गए तो,
सूना होगा वृन्दावन
यमुना सूनी हो जाएगी
नन्द भवन होगा सूना
सूनी ब्रज कहलाएगी
सूनी ये माखन बिन मटकी
सूने होंगे मार्ग सभी
सूने होगे ग्वाल बाल जो
लूटा करते छाछ कभी
सूनी होगी नैनों की चितवन
और सूना श्रृंगार आधार
होली भी सूनी होगी
सूने होंगे सारे त्यौहार

तुम चले गए तो कान्हा,
उषा बेला सुबह सुबह
क्यों मंगल गान सुनाएगी
बिलोकिं निरंतर कमल नयन को
मैया किसे जगाएगी 
क्या होगा गोशाला में रहते
गोविन्द बिना गइयों का हाल
बछड़ों के खुर से किलकारित
किसका करेंगी लाड दुलार
अपनी मटकी भर माखन
हम क्यों फिर ले आएँगी
तुम्हारी वंशी को सुनने को
क्यों कोई गोपी इताराएगी ?
अपनी सौतन मान किसे हम
तुमपर रोष दिखाएंगी ?

तुम चले गए तो कान्हा,
ये बौराई पुरवाई फ़िर
तुम्हारा संदेशा ना लाकर देगी
फिर तो शरद पूनम भी हमको
अमावास सदृश दिखाई देगी 
हमारा ये हिय पिय बिन फिर
एक पतझर ऋतू बन जायगी
विरहिन के इस पतझर उर में
फिर बसंत न आएगी I
केसरी वन डालों पर बैठी
कोई कोयल न गाएगी I
उड़ते भौरों का गायन सुन
न कोई सुमन मुस्काएगी
गो धूलि बेला में फिर हम
किसका राह निहारेंगी
प्रिय को रिझाने के लिए
क्यों अपना केश सवारेंगी

तुम चले गए तो कान्हा,
स्मरण कर इन अधरामृत को
फफक फफक कर रो हम लेंगी
फूटे भाग्य करम थे मेरे
सोच विरह ये सह हम लेंगी
किससे बांटेगी हम सब
उठते हुए हृदय कि पीर
नयनों से आंसू बहेंगे ऐसे
जैसे बहता यमुना का नीर
समझ हमारे विरह व्यथा को
तुम हम पर दया दिखाओ
प्रियतम प्राण सखा भी तुम हो
न हमें अनाथ बनाओ
करो आनंदित हम विरहिन को
तुम मधुर तान बजाओ  
श्यामानंद विनती चरणों में
हे प्रियतम तुम मत जाओ 

टिप्पणियाँ

  1. Aarti 🙏 awesome poem. Very nice lines... Hare krishna 🙏🙏

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  2. 👏👏😊😊 wow nice poem and nice write. It's mesmerizing to feel the true love with Krishna. Hare Krishna 🙏

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  3. Really beautiful prabhuji.. Lord must be so happy reading that

    जवाब देंहटाएं
  4. Really charming pr ji in my heart .thanks pr ji for these poem.

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  5. आह! ये आर्त मनुहार हृदय को भेद रहा है । अति अति सुन्दर ... आनंदमय ।

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    1. Thanks a lot..... मेरी रचना आपके सामने तो सागर समक्ष बूँद सामान है I

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